हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने के सालभर के अंदर 6.5 फीसदी कोरोना मरीजों की हुई मौत : ICMR

रिसर्च में यह पाया गया कि कोविड से संक्रमित होकर अस्पताल में भर्ती होने वाले 6.5 प्रतिशत कोरोना मरीजों की मौत हुई है। 

Kunal Mishra
Written by: Kunal MishraUpdated at: Nov 10, 2023 13:45 IST
हॉस्पिटल से डिस्चार्ज होने के सालभर के अंदर 6.5 फीसदी कोरोना मरीजों की हुई मौत : ICMR

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कोरोना संक्रमण का खतरा अभी तक पूरी तरह से टला नहीं है। ऐसे में नए वेरियंट ने दुनियाभर में तेजी से पैर पसारना शरू कर दिया है। कोविड होने के कई दिनों बाद तक कुछ लोगों में इसके लक्षण देखे जाते हैं। इंडियन जर्नल ऑफ मेडिकल गई एक रिसर्च में यह पाया गया कि कोविड से संक्रमित होकर अस्पताल में भर्ती होने वाले 6.5 प्रतिशत कोरोना मरीजों की इसके ठीक होने के बाद मौत हुई है। 

14,419 मरीजों को किया गया शामिल 

स्टडी कर रहे शोधकर्ताओं ने बताया कि कोरोना के लिए गठित नेशनल क्लीनिक रजिस्ट्री के तहत भारत के 31 अस्पतालों में भर्ती मरीजों पर करीब से नजर रखी गई, जिसमें कुल 14,419 मरीजों को शामिल किया गया। इस दौरान टीम ने मरीजों के अस्पताल से डिस्चार्ज हो जाने के बाद तक उनकी निगरानी की साथ ही कुछ समय तक फोन पर भी फॉलो अप किया। इस दौरान टीम ने पाया कि अस्पताल से डिस्चार्ज होने के एक साल भीतर ही 942 (6.5%) लोगों की मौत हो गई। जबकि, यह मरीज कोरोना से पूरी तरह से स्वस्थ हो चुके थे।

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युवाओं में रहा अधिक जोखिम 

आईसीएमआर के मुताबिक युवाओं में कोविड के सालभर बाद होने वाली मौत का जोखिम अधिक था। स्टडी में पाया गया कि कोरोना से मरने वाले मरीजों में ज्यादातर 40 वर्ष से कम उम्र वाले लोग शामिल थे। स्टडी के मुताबिक अस्पताल से डिस्चार्ज होने के बाद कोरोना की वैक्सीन लगवाने वाले लोगों में मौत का जोखिम 60% तक कम देखने को मिला है। कोरोना से होने वाली मौत के आंकड़ों में 18 से 45 वर्ष की उम्र के लोग ज्यादा थे। 

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वैक्सीन लगवाने वालों में खतरा कम 

आईसीएमआर की ओर से की गई इस स्टडी की मानें तो कोरोना संक्रमण से बचने के लिए जिन लोगों ने वैक्सीन लगवाई थी उनमें उन लोगों के मुकाबले मरने का खतरा कम था, जिन्होंने वैक्सीन की एक भी डोज नहीं लगवाई थी। मरने वाले मरीजों में 197 लोग ऐसे थे, जिन्होंने कोविड वैक्सीन की एक डोज लगवाई हुई थी।

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